अमृतधारा एक प्रसिद्ध घरेलू औषधि है जो कई प्रकार की सामान्य बीमारियों को आसानी से ठीक कर देती है, खास तौर पर बदलते मौसम में जब सर्दी, सिर दर्द, पेट दर्द, अपच के लक्षण हों तो यह औषधि वरदान है। अमृतधारा सभी रोगों की परम औषधि है। इससे कई रोग ठीक होते हैं। इसे बनाने की विधि बहुत सरल है। असली अमृतधारा तैयार करने के लिए तीन चीजों की जरूरत होती है। अजवायन का अर्क, पुदीना के फूल और कपूर, इन तीनों को बराबर मात्रा में अलग-अलग लेकर तीनों चीजों को एक-एक करके मजबूत डाट वाली बोतल में डालकर डाट लगा दें। 5-20 मिनट में अमृतधारा अपने आप तैयार हो जाएगी, कपूर और भीमसेनी डालने से सबसे अच्छी अमृतधारा बनती है, बाजार वाले सादा कपूर ही इस्तेमाल करते हैं। भीमसेनी कपूर महंगा मिलता है। कई लोग लौंग और दालचीनी का इस्तेमाल करते हैं। वे अमृतधारा का सस्ता अर्क मिलाकर बेचते हैं, असली अमृतधारा उपरोक्त तीनों चीजों से ही बनती है। ]
बुखार: तुलसी, अदरक और नागरबेल के पत्ते का रस 3 ग्राम लें या इनमें से किसी भी एक चीज का रस मिलाकर उसमें तीन बूंद अमृतधारा मिलाकर दिन में तीन बार दें। तीन-चार दिन में सभी प्रकार के बुखार ठीक हो जाते हैं। तथा एक चम्मच गर्म पानी में तीन-चार बूंद अमृतधारा डालकर सुबह-शाम देने से मोतीझारा, पानीझारा आदि सभी रोग ठीक हो जाते हैं।
हैजा: दस मिनट बाद ठंडे पानी से चार-पांच बूंद अमृतधारा दें। जैसे-जैसे दस्त और उल्टी बंद हो, दवा कम करते जाएं। अथवा प्याज का रस निकालकर उसमें दो-तीन बूंद अमृतधारा मिलाकर रोगी को दें। हैजा ठीक हो जाता है।
सिर के रोग: माथे और कनपटी पर दो बूंद अमृतधारा लगाएं। आंखों पर मलने से सभी प्रकार के सिर के रोग ठीक हो जाते हैं।
आंख: पलकों पर एक बूंद अमृतधारा लगाएं लेकिन ध्यान रहे कि वह आंखों के अंदर न जाए। इसे सावधानी से आंखों में लगाने तथा एक बूंद चौथाई तोला सुरमा में मिलाकर प्रतिदिन आईलाइनर की तरह लगाने से आंखों को लाभ होता है।
कान: एक तोला प्याज के रस में दस बूंद तिल का तेल या दो बूंद अमृतधारा मिलाकर कान में डालने से कान के सभी प्रकार के रोग ठीक हो जाते हैं।
नाक: एक भाग अमृतधारा और तीन भाग तिल या अरंडी का तेल मिलाकर उसमें रूई भिगोकर नाक में लगाने तथा बोतल खोलकर सूंघने से साइनस तथा नाक के अन्य रोग ठीक हो जाते हैं।
मुंह के छाले: मुंह के छाले होने पर चीनी पीसकर उसमें दो बूंद अमृतधारा मिलाकर मुंह में मलने से मुंह के छाले ठीक हो जाते हैं। अथवा अकेले अमृतधारा मलने अथवा पांच बूंद पानी में डालकर चबाने से छाले ठीक हो जाते हैं।
दांत की दाढ़: दाढ़ पर अमृतधारा मलने तथा दांतों की गुहा में रूई रखने अथवा रगड़ने से दर्द ठीक हो जाता है। गले के अंदर की गांठों पर मलने से उनका दर्द ठीक हो जाता है। अमृतधारा मुंह के सभी रोगों जैसे गले के अंदर और बाहर सूजन के लिए लाभकारी है।
खांसी और दमा: सुबह-शाम ठंडे पानी के साथ अमृतधारा की चार-पांच बूंदें देने से दमा और टीबी ठीक हो जाती है। मीठे तेल में अमृतधारा मिलाकर छाती पर मालिश करने से खांसी और सीने का दर्द ठीक हो जाता है।
पसली: सौंफ या अजवायन का रस या काढ़ा लें।
अमृतधारा की पांच बूंदे पीने से पसलियों का दर्द, निमोनिया, पेचिश, हैजा, खट्टी डकारें, अधिक प्यास, पेट के रोग ठीक होते हैं। साथ ही सोंठ के चूर्ण में अमृतधारा मिलाकर देने से पेट फूलना, पेट दर्द, खाना खाने के बाद उल्टी या दस्त आदि में आराम मिलता है। साथ ही पसलियों पर अमृतधारा के रोग ठीक होते हैं। मालिश से भी आराम मिलता है। : दाद, खुजली, आदि: तिल के तेल में अमृतधारा।
छाती: हृदय पर तेल में अमृतधारा मिलाकर मालिश करने से दाद ठीक होता है। नीम के तेल में अमृतधारा लेनी चाहिए। तथा आंवले के मुरब्बे में अमृतधारा की तीन-चार बूंदे डालकर रोगी को खिलाने से पूरे शरीर या किसी भी स्थान की खुजली ठीक होती है। * हृदय के सभी रोग ठीक होते हैं।
पेट दर्द: चीनी या बताशे में अमृतधारा की तीन-चार बूंदे। जुकाम: अमृतधारा सूंघना चाहिए। इसे पानी में मिलाकर पीने से पेट दर्द ठीक होता है, ठीक न हो तो आधा-आधा लें। मिर्गी: सिर पर एक-दो बूंद मालिश करें तथा एक-दो बूंद एक घंटे बाद लेने से आराम मिलता है। कुछ ही मिनटों में हिचकी बंद हो जाती है। इसे गुलाब जल के अर्क में मिलाकर प्रतिदिन लेने से मिर्गी से राहत मिलती है। हिचकी बंद हो जाती है। तिल्ली रोग: अमृतधारा की मालिश करनी चाहिए तथा: विषैले जंतुओं (टांटिया बिच्छू, भौंरा,
अमृतधारा की तीन-चार बूंदें, तीन ग्राम चीनी तथा एक ग्राम मक्खी आदि) के डंक मारने पर अमृतधारा मलने से आराम मिलता है।
यकृत रोग: बिच्छू के काटने वाले स्थान को थोड़ा मसलकर प्रभावित स्थान पर लगाएं।
यकृत रोग: त्रिफला के साथ अमृतधारा की तीन-चार बूंदें। अमृतधारा को गर्म करके मलने से शीघ्र आराम मिलता है।
इसे सुबह-शाम पानी में डालकर पिएं तथा यकृत वाले स्थान पर अमृतधारा मलें। उपरोक्त रोगों के अलावा यह अमृतधारा अन्य अनेक रोगों को भी ठीक करती है।
मालिश करने से यह रोग ठीक हो जाता है। यह रोगों की परम औषधि है।
दस्त: सुबह-शाम ठंडे पानी में अमृत धारा की दो-तीन बूंदें लेने से दस्त, पेचिश, पेचिश, पेचिश, आदि ठीक हो जाते हैं।काला नमक मिलाकर बासी पानी में लें।
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