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इलायची के फायदे और नुकसान,स्वास्थ्य लाभ, सुझाव,सावधानियां और खुराक

भारत में प्राचीन काल से ही इस चीज का बहुत सम्मान किया जाता रहा है।

यहाँ भोजन और स्वादिष्ट व्यंजनों में इसका उपयोग सुगंधित पदार्थ के रूप में किया जाता रहा है।हालाँकि छोटी इलायची का उपयोग अधिकतर सुपारी के साथ आतिथ्य सत्कार में किया जाता है।

आम लोगों की जानकारी के अनुसार इलायची का उपयोग केवल इतना ही है कि इसके बीज सुपारी में डाले जाते हैं या मेहमानों के स्वागत में सुपारी और लौंग के साथ इलायची भी चढ़ाई जाती है या इसके बीजों का उपयोग कुछ मीठे व्यंजनों में किया जाता है, लेकिन अधिकांश लोगों को इसके कई छोटे-मोटे रोगों को ठीक करने के लिए विभिन्न उपचारों में उपयोग के बारे में जानकारी नहीं है। यहाँ कुछ उपचार प्रस्तुत किए जा रहे हैं--

नाम: संस्कृत - इला। हिन्दी - दलाईची। मराठी - वेल्डोडे, वेलची। गुजराती - इलाची। बंगाली - इलाच। तेलुगु - एलक्कु।

गुण: इलायची दो प्रकार की होती है- छोटी और बड़ी। छोटी इलायची तीखी, ठंडी, हल्की होती है और पेट फूलना, कफ, श्वास रोग, खांसी, बवासीर और पेशाब की रुकावट को दूर करने में सहायक होती है। बड़ी इलायची तीखी, वायुकारक, हल्की, रूखी, गर्म होती है तथा कफ, पित्त, रक्त विकार, खुजली, श्वास रोग, गर्मी, प्यास, मूत्राशय के रोग, सूखी व गीली खांसी, सिरदर्द या सिर का भारीपन आदि को दूर करने में सहायक होती है।

परिचय: यह एक प्रकार का सदाबहार पौधा है। छोटी इलायची को सभी जानते हैं। यह विशेष रूप से दक्षिण भारत, लंका और बर्मा में उगाई जाती है। भारतीय इलायची में मालाबारी इलायची, मैसूर इलायची, बैंगलोर इलायची विशेष रूप से पाई जाती है। उपयोग: छोटी इलायची और बड़ी इलायची का उपयोग पूरे भारत में किया जाता है। इसका उपयोग आयुर्वेदिक औषधियों जैसे चूर्ण, वटी, पाक, अवलदे आदि में उनके गुणों और स्वाद को बढ़ाने के लिए किया जाता है। यहां घरेलू उपचार के लिए छोटी इलायची के कुछ उपयोग प्रस्तुत किए जा रहे हैं।

अग्निमंच : भूख न लगना, पाचन शक्ति कमजोर होना, अपच के कारण खाए गए भोजन की गंध के साथ डकार आना, मुंह पीला होना तथा भूख न लगना आदि शिकायतें होने पर 0-2 छोटी इलायची के दाने एक कप पानी में उबालें। पांच मिनट तक उबालें, नीचे उतार लें तथा ढककर रख दें। आधे घंटे बाद इसमें आवश्यकतानुसार चीनी मिलाकर, मिलाकर पी लें। कुछ दिनों तक यह प्रयोग करने से अग्निमंच की शिकायत दूर हो जाती है।

बामन; जी मिचलाने तथा उल्टी होने पर इस मिश्रण के 2 चम्मच बनाकर रोगी को हर आधे घंटे में पिलाएं।

सूखी खांसी; 0.5 ग्राम इलायची छिलके सहित लेकर तवे पर गर्म करें। जब छिलका जलकर काला पड़ जाए तो उतारकर ढककर रख दें।ठंडा होने पर इसे पीसकर बारीक चूर्ण बना लें। इस चूर्ण की आधी चम्मच मात्रा को थोड़े से शहद में मिलाकर दिन में 2-3 बार चाटने से सूखी खांसी ठीक हो जाती है।

गीली खांसी - कफ वाली खांसी को गीली खांसी कहते हैं। इलायची और सोंठ को 0.5-0.5 ग्राम लेकर बारीक पीसकर मिला लें। इस चूर्ण की आधी चम्मच मात्रा को थोड़े से शहद में मिलाकर दिन में 2-3 बार चाटने से गीली खांसी ठीक हो जाती है।

 पेट फूलना - पेट फूलना, पेट में भारीपन और गैस बनना पेट फूलने के लक्षण हैं। इस रोग को ठीक करने के लिए छोटी इलायची के दानों का बारीक पिसा हुआ चूर्ण आधा ग्राम (चार रत्ती) और भुनी हुई हींग एक रत्ती (चूर्ण का चौथाई भाग) लेकर मिला लें और इसमें नींबू के रस की 1-1 बूंद डालें। इस मिश्रण को सुबह-शाम निगलने से पेट फूलना ठीक हो जाता है। 

उदावर्त: जब वात का प्रकोप होता है तो गैस बढ़ जाती है और जब यह पेट में रुक जाती है तो इसका दबाव हृदय पर पड़ता है जिससे हृदय में घबराहट और दर्द होता है और पेट में भारीपन महसूस होता है। इस रोग को ठीक करने के लिए ऊपर बताई गई विधि से तैयार मिश्रण की आधी ग्राम मात्रा को थोड़े से शहद में मिलाकर 1-1 घंटे तक 2-3 बार चाटने से लाभ मिलता है।



सिर दर्द: सिर दर्द को ठीक करने के लिए 20 ग्राम छोटी इलायची और 5 ग्राम पीपल को बारीक पीसकर मिला लें। इसे आधा चम्मच की मात्रा में थोड़े से शहद में मिलाकर दिन में 3 बार चाटने से सिर दर्द ठीक हो जाता है। आंखों में जलन: आंखों में जलन हो तो 50 ग्राम इलायची और 25 ग्राम सफेद मिर्च को बारीक पीसकर मिला लें। एक बादाम को पानी में भिगोकर उसका छिलका उतार लें, पानी के साथ पत्थर पर घिसें और पेस्ट को चम्मच में लें। इस पेस्ट में आधा चम्मच शुद्ध छेने का चूर्ण और आधा चम्मच चूर्ण मिलाकर एक बार सुबह खाली पेट और दूसरी बार रात को सोने से पहले चाटें। इस उपाय से सिर और आंखों की गर्मी शांत होती है और आंखों की जलन दूर होती है।

 मुंह के छाले: इलायची और फूली हुई फिटकरी को बराबर मात्रा में लेकर पीसकर मिला लें। इस चूर्ण को जीभ पर लगाकर कुछ देर तक मुंह में लार टपकाते रहें। इसके बाद साफ पानी से कुल्ला करके मुंह साफ कर लें। इस उपाय को दिन में 3-4 बार करें। यह उपाय मुंह के छालों से राहत देता है। नकसीर - दो माशा इलायची का रस सात-आठ बार देने से नकसीर बंद हो जाती है।

केले से होने वाला अपच - इलायची के दाने खाने से केले से होने वाला अपच ठीक हो जाता है।

पेशाब में रुकावट - गर्मी के प्रभाव से पेशाब में जलन होना, तेज जलन के साथ बूंद-बूंद करके पेशाब आना, मूत्राशय में पेशाब भर जाने पर भी पेशाब न आना आदि। इन रोगों को ठीक करने के लिए छोटी इलायची को बारीक पीसकर एक बोतल में भर लें। आधा गिलास दूध और आधा गिलास पानी मिलाकर इसमें एक चम्मच इलायची पाउडर डालकर उबालें। इसे 4-5 बार उबालें और उतारकर ढककर रख दें। आधे घंटे बाद इसमें एक चम्मच पिसी चीनी डालकर मिला लें, छानकर एक-एक घंटे के अंतराल पर तीन खुराक में पिएं। इससे पेशाब खुलकर आता है। यदि मूत्र रुकने का कारण पथरी है तो इस उपाय के साथ-साथ खरबूजा, तरबूज, ककड़ी और कद्दू (भूरा कोला) के बीजों की गिरी को अच्छी तरह चबाकर खाने से लाभ होता है।

धातु दुर्बलता: छोटी इलायची 50 ग्राम, मुरब्बा, जावित्री 0 ग्राम - दोनों को बारीक पीस लें। आधा चम्मच चूर्ण और एक चम्मच बादाम पाक रोजाना सुबह और रात को सोने से पहले कम से कम 60 दिनों तक लें। ऊपर से मिश्री मिला गुनगुना दूध पिएं। यह धातु के लिए पौष्टिक उपाय है।

स्वप्रदोष: छोटी इलायची, बंशलोचन, मुल्तानी मिट्टी तीनों 0-0 ग्राम और बंग भस्म 5 ग्राम। सबको अलग-अलग पीसकर छलनी से बारीक चूर्ण बना लें और मिलाकर आटा छानने वाली छलनी से तीन बार छान लें। इसे आधा चम्मच की मात्रा में सुबह और रात को आंवले के पानी के साथ लेने से स्वप्नदोष बंद हो जाता है।

आंवला पानी कैसे बनाएं

एक कप पानी में 10 ग्राम आंवला (पिसा हुआ) डालकर ढककर रख दें। सुबह इसे मसलकर कपड़े से निचोड़ लें और छान लें। यह आंवला पानी है।

सुबह आंवला भिगो दें और रात को मसलकर छानकर इस्तेमाल करें।

छः नजुरुखेते का सेवन किसी भी मौसम में किया जा सकता है। इसे कम से कम 2 दिन या लाभ दिखने तक पीना चाहिए।सर्दियों में आंवला पानी को हल्का गर्म करके पीना चाहिए। यह नुस्खा वीर्य को गाढ़ा करता है और स्वप्नदोष को रोकता है। जहां छोटी इलायची लिखा है, वहां छिलके सहित लें और जहां दाने लिखा है, वहां दाने ही लें, छिलके सहित न लें।

(विशेष: इसका इस्तेमाल करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह लें।)

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